बसंत पंचमी कैसे मनाए [Basant Panchami Kaise Manaye]
Basant Panchami Kaise Manaye |
बसंत पंचमी के दिन मां सरस्वती की पूजा करनी चाहिए। बसंत पंचमी के दिन मां सरस्वती की उपासना करने से साधक को ज्ञान की प्राप्ति होती है इस दिन विद्यार्थियों को चाहिए कि मां सरस्वती को बेर का भोग लगाएं और इस दिन मधु का भी लगाना अति शुभ माना जाता है। इस दिन मां सरस्वती की उपासना से ज्ञान विद्या विद्यार्थियों को प्राप्त होती है । इस दिन मां सरस्वती का मंत्र करना चाहिए।
इस दिन मां के स्तोत्र का पाठ जरूर करना चाहिए। मां सरस्वती की वंदना से छात्र या मंच से मंद बुद्धि वाला व्यक्ति भी मेधावी एवं प्रखर बुद्धि का स्वामी बन जाता है। मां की वंदना लिखने से पहले यह कहना चाहता हूं कि प्रत्येक व्यक्ति को मां सरस्वती की वंदना करनी चाहिए यह वंदना प्रातः काल या सायं काल करने पर उचित लाभ की प्राप्ति होती हैं।
इस दिन मां के स्तोत्र का पाठ जरूर करना चाहिए। मां सरस्वती की वंदना से छात्र या मंच से मंद बुद्धि वाला व्यक्ति भी मेधावी एवं प्रखर बुद्धि का स्वामी बन जाता है। मां की वंदना लिखने से पहले यह कहना चाहता हूं कि प्रत्येक व्यक्ति को मां सरस्वती की वंदना करनी चाहिए यह वंदना प्रातः काल या सायं काल करने पर उचित लाभ की प्राप्ति होती हैं।
श्री सरस्वती वंदना
रविरूद्र पितामह विष्णुनूतं, हरि चंदन कुमकुम पकंयुतम
मुनिवृन्द गणेन्द्र समानयुतं, तब नौमि सरस्वती पादयुगम।
शशि शुद्ध सुधा हिमधामयुतं, शरदम्बर बिम्ब समान करम,
बहुरत्न मनोहर कान्तियुतं, तब नौमि सरस्वती पादयुगम।
कनकाब्ज विभाषित भूति भवं, भवभाव विभाषित भिन्नपदम,
प्रभु चित् समाहित साधु पदं, तव नौमि सरस्वति पाद युगम् ।
भव सागर भज्जन भीति नुतं, प्रति पादित सन्तति कार मिदम्,
विमलादिक शुद्ध विशुद्ध पदं, तव नौमि सरस्वति पाद युगम्।
मति हीन जनाश्रय पारमिदं, सकलागम भाषित भिन्न पदम्,
परिपूरित विशव मनेक भवं, तव नौमि सरस्वति पाद युगम्।
परिपूर्ण मनोरथ धाम निधिं, परमार्थ विचार विवेक विधिं,
सुर योषित सेवित पाद तलं, तव नौमि सरस्वति पाद-युगम्।
सुर मौलि मणि द्युति शुभ्रकरं, विषयादि-महाभय वर्ण हरम्,
निज कान्ति विलेपित चन्द्र शिवं, तव नौमि सरस्वति पाद युगम्।
गुण नैक कुलं स्थिति भीति पदं, गुण गौरव गर्वित सत्य पदम्,
कमलोदर कोमल पाद तलं,तव नौमि सरस्वति पाद युगम्।
त्रिसन्ध्यं यो जपेन्नित्यं जले वापि स्थलेस्थितः,
पाठमात्रद्भवेत्प्राज्ञो ब्रह्मनिष्ठः पुनः पुनः।
बसंत पंचमी कैसे मनाए [Basant Panchami Kaise Manaye]
माघ शुक्लपक्ष की पंचमी को बसंत पंचमी का पर्व होता है. इस दिन ज्ञान, विद्या और कला की देवी माता सरस्वती की पूजा-अराधना की जाती हैं।
पूजा की विधि:
विद्यार्थी, साहित्य और कला क्षेत्र से जुड़े लोगों को बसंत पंचमी के दिन देवी सरस्वती की पूजा जरूर करनी चाहिए. मान्यता है कि इस दिन श्रद्धापूर्वक की गई पूजा कभी विफल नहीं होती है और मां सरस्वती का आशीर्वाद प्राप्त होता है. साथ ही मां सरस्वती की पूजा से घर में सकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह होता है और एकाग्रता बढ़ती हैं। अब हम आपको सरस्वती माता की पूजा की विधि के विषय में बताते हैं:-
- बसंत पंचमी के दिन स्नान के बाद पूजा स्थान को गंगाजल से शुद्ध करें।
- मां सरस्वती की मूर्ति या फोटो स्थापित करें। गंगाजल से उन्हें स्नान कराएं।
- मां सरवती के समक्ष धूप-दीप, अगरबत्ती जलाएं और उनका ध्यान करें।
- मां सरस्वती को तिलक लगाएं और उन्हें माला पहनाएं।
- मां सरस्वती को मिठाई और फलों का भोग लगाएं।
- मां सरस्वती के मंत्रों का जाप करें और अंत में आरती उतारें।
माता सरस्वती मंत्र
ॐ ऐं नमः।
ॐ वदवदवादवादेनयै स्वाहा।
ॐ ऐं सरस्वत्यै नमः।
विद्यार्थियों को चाहिए कि इन तीनों मंत्र का जाप करें जिससे उन्हें लाभ की प्राप्ति हो।
निष्कर्ष:
मैं आशा करता हूं कि आपको यह लेख पसंद आया होगा।
मैं इस लेख के नीचे एक वीडियो पोस्ट कर रहा हूं जिसमें सरस्वती वंदना है। विद्यार्थियों को चाहिए कि यह सरस्वती वंदना कंठस्थ करना चाहिए ।
मुझे आशा है कि बसंत पंचमी पर यह मेरा लेख आपको पसंद आया होगा। अगर आपको यह लेख पसंद आया है तो आप एक कमेंट करिए जिससे मुझे प्रोत्साहन मिले।
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Article Title: | बसंत पंचमी कैसे मनाए [Basant Panchami Kaise Manaye] |
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