Chakshushi Vidya चाक्षुषी विद्या
चाक्षुषी विद्या का पाठ करने वाले जातक/जातिका के कुल में कोई अंधा नही होता हैं।
विधि
(2) रविवार या रवि पुष्य नक्षत्र में इस विद्या का पाठ करना सर्वोत्तम हैं।
(3) जातक को चाहिए कि चाक्षुषी विद्या का रोजाना करें। इससे आँखों के सभी रोग नष्ट होते हैं।
चाक्षुषी विद्या
ॐ चक्षुः चक्षुः चक्षुः तेजः स्थिरो भव। मां पाहि पाहि। त्वरितं चक्षूरोगान् शमय शमय। मम जातरूपं तेजो दर्शय दर्शय। यथा अहम् अन्धो न स्यां तथा कल्पय कल्पय। कल्याणं कुरु कुरु। यानि मम पूर्वजन्मोपार्जितानि चक्षुः प्रतिरोधकदुष्कृतानि सर्वाणि निर्मूलय निर्मूलय। ॐ नमः चक्षुस्तेजोदात्रे दिव्याय भास्कराय। ॐ नमः करुणाकरायामृताय। ॐ नमः सूर्याय। ॐ नमो भगवते सूर्यायाक्षितेजसे नमः। खेचराय नमः। महते नमः। रजसे नमः। तमसे नमः। असतो मा सद्गमय। तमसो मा ज्योतिर्गमय। मृत्योर्मा अमृतं गमय। उष्णो भगवानञ्छुचिरूपः। हंसो भगवान शुचिरप्रतिरूपः।
य इमां चाक्षुष्मतीविद्यां ब्राह्मणो नित्यमधीते न तस्याक्षिरोगो भवति। न तस्य कुले अन्धो भवति। अष्टौ ब्राह्मणान् सम्यग् ग्राहयित्वा विद्यासिद्धिर्भवति। ॐ नमो भगवते आदित्याय अहोवाहिनी अहोवाहिनी स्वाहा।
श्रीकृष्णयजुर्वेदीया चाक्षुषी विद्या संपूर्णम॥
सूचना: चाक्षुषी विद्या का पाठ करने के बाद सूर्य भगवान को जल दे।
उपसंहार:
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Article Title: | Chakshushi Vidya चाक्षुषी विद्या |
Article Code: | A38 |
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