मौनी अमावस्या

 मौनी अमावस्या का महत्व

मौनी अमावस्या, जिसे मौनी अमावस्या भी कहा जाता है, हिन्दू पंचांग में एक महत्वपूर्ण तिथि है जो कि नव-वर्ष के प्रारंभ में आती है। यह त्योहार हिन्दू कैलेंडर के अनुसार चैत्र मास की अमावस्या को पड़ता है, जो मार्च या अप्रैल महीने में पड़ता है। इस दिन लोग विभिन्न धार्मिक और सांस्कृतिक कार्यों का आयोजन करते हैं और नए कामों की शुरुआत करते हैं।

मौनी अमावस्या का महत्व भारतीय सभ्यता में प्राचीन समय से ही रहा है। इस दिन विभिन्न पूजाएँ, यज्ञ, दान आदि किए जाते हैं जो समाज में सामाजिक और आध्यात्मिक उत्थान का संकेत माने जाते हैं। इस दिन विशेष रूप से गंगा नदी में स्नान करने का महत्व बताया जाता है और लोग इसे "मौनी स्नान" के नाम से जानते हैं।




इस दिन कई स्थानों पर मेले आयोजित किए जाते हैं जहां लोग आपसी मिलन-जुलन करते हैं और मनोरंजन का आनंद लेते हैं। धार्मिक ग्रंथों के अनुसार, इस दिन विशेष रूप से यज्ञ करने का अद्भुत महत्व है, जो व्यक्तिगत और सामाजिक स्तर पर शुभ फल प्रदान करने का वादा करते हैं।

एक परंपरागत रूप से, मौनी अमावस्या को सुप्रभातम और सुयोग का समय माना जाता है जब लोग मन्त्र जाप, पूजा, ध्यान आदि के माध्यम से अपने आंतरिक शांति और स्थिरता की ओर प्रवृत्त होते हैं।

सार्वजनिक जीवन में भी, यह त्योहार एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। लोग इस दिन नए कामों की शुरुआत करते हैं, समाज में नए संकल्प लेते हैं और नए आदर्शों की प्रेरणा लेते हैं।

समान्यत: इस तिथि को मौनी अमावस्या के रूप में मनाया जाता है, लेकिन विभिन्न प्रांतों में इसे अलग-अलग नामों से भी जाना जाता है जैसे कि नंदनी अमावस्या, बथुक अमावस्या, गंगा स्नान आदि।

इस प्रकार, मौनी अमावस्या एक महत्वपूर्ण धार्मिक और सांस्कृतिक तिथि है जो हिन्दू समुदाय में विशेष महत्व रखती है और लोग इसे धैर्य, आत्म-पुरुषार्थ, और आत्म-उन्नति की दिशा में एक महत्वपूर्ण दिन के रूप में मनाते हैं।

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Article Title: मौनी अमावस्या
Article Code: A60
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